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सुंदरतम पाप

सुंदरतम पाप        उस   स्त्री को देखकर पहली     समझ   गया   था यह मैडम कुछ   देगी।   आजकल लोगों   को देखकर पहली     समझ  जाता था  , कौन देंगे और कौन नहीं देंगे। वह औरत   किधर जाएगी देखना बाकी था। पहली की   तरफ से आरंभ करेंगी तो कोई बात नहीं। अगर दूसरी तरफ से पैसा देना आरंभ किया तो हो सकता है पहली के पास तक नहीं पहुंचेगी। कोई क्या मुट्ठी भर पैसे लेकर आता है कुष्ठ रोगियों को बांटने के लिए।        पहली को   आते- आते   थोड़ी देर   हो गई थी   ।   दूसरे   तो आधी   रात   को आकर   कंबल ओढ़कर सोए   पड़े   रहते हैं   मंदिर   के सामने , अपनी- अपनी जगह कब्ज़ा   करने के लिए। पहली को जगह नहीं मिली   । इसके अलावा नींद टूटने के बाद थोड़ी-सी चाय नहीं मिलने से उसका   नहीं  चलता था । रात को तीन बजे नींद टूट गई थी। उस समय स्टेशन   पर चाय की दुकान खुली रहती थी। चाय के लिए दो किलोमीटर दूरी तय करना पड़ा   था पहली को। इसलिए मंदिर के पास पहुंचते-पहुंचते देर हो गई थी। हर दिन सुनंदा उसके लिए जगह रख देती थी। आज सुनंदा भी नहीं आई थी।        उस   औरत ने   दूसरी   तरफ   से पैसे बांटना शुरू किया।   एक- एक को ए