Posts

Showing posts from February, 2011

दारिद्र्य

दारिद्र्य बार-बार अरुचि दिखाने के बाद भी उस आदमी ने हमारा पीछा नहीं छोड़ा। वह सोच रहा था शायद हम उसे पेशेवर गाइड मान रहे थे, इसलिए पहले से ही उसने अपनी सफाई में कहना शुरु किया कि वह इस कार्य के लिए उनसे कोई पैसे नहीं लेगा। वह यह भी कह रहा था कि इन सभी चीजों के पीछे उसका कोई गलत उद्देश्य नहीं है। वह तो केवल उन्हें दो हजार साल पुरानी एक पुरातात्विक जगह पर घुमाने ले जाएगा और उसको दिखाने के बाद वह उन्हें एक अन्य जगह पर ले जाएगा। वह उन जगहों को गोपनीय नहीं रख रहा था। वह क्षेत्र साड़ी के लिए प्रसिद्ध होने की वजह से वह उन्हें कुछ तांती (बुनकर) परिवारों के घर घुमाना चाहता था जहाँ हम अपनी आँखों से साड़ियों के बुनने की प्रक्रिया को देख सके। अपना उद्देश्य स्पष्ट करने के बाद उसने कहा कि हमारे लिए साड़ी खरीदना कोई अनिवार्य नहीं है। हो सकता है वह किसी साड़ी कंपनी का दलाल हो अथवा गाइड, उसकी यह इमेज बनने पर भी हमारे मन में उसके प्रति कोई अच्छी धारणा नहीं बन पाई थी, क्योंकि पहला तो, दो हजार साल पुरानी धरोहरों को देखने में हमारी कोई रुचि नहीं थी, दूसरा साड़ी खरीदना हमारे बजट से बाहर की चीज थी। अभी