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सोन मछली

ओडिशा के सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक सम्मान 'शारला पुरस्कार' से सम्मानित लेखक के कहानी-संग्रह 'सुना इलिशी' में शीर्षक कहानी के रूप में प्रकाशित इस कहानी में साम्प्रतिक मानव मन के दोहरेपन को उजागर किया गया है. ओडिया कहानी में प्रयोगधर्मिता को शीर्ष स्तर पर पहुँचाने वाले लेखक की यह सर्वोत्तम कृति मानी जाती है. आशा है यह कहानी हिंदी जगत को पसंद आएगी सोन मछली चाँदीपुर पहुँचते-पहुँचते शाम हो गई थी। बीच में बारिश की रिमझिम बूंदाबांदी ने कुछ देर के लिए रास्ता रोक दिया था, तो कहीं-कहीं पर गाँवों में लगने वाले साप्ताहिक हटलियों ने सड़क के किनारों पर अपने आँचल पसार दिए थे, फिर भी चाँदीपुर की प्रक्षेपण-घाटी को देखने की तीव्र उत्कंठा ने अग्रिम यात्रा जारी रखी। इन सारे आकर्षक बंधनों को तोड़कर जाते समय हिरणों का एक झुण्ड़ अकस्मात पुपुन के रास्ते के बीच आ गया। जैसे ही वे चाँदीपुर के समुद्र-तट पर पहुँचे, समुद्र की लहरों को पीछे जाते देख ऐसा लगा मानो वे प्रतीक्षा करते-करते थक गई हो तथा दुःखी होकर लौट रही हो। पीछे मुड़कर तेजी से भागती हुई समुद्र-तरंगों को दे