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बाघ

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भूख और गरीबी में पले भारतीय जन मानस की मानवीय चीत्कार का सफल काव्यिक रूपांतर वाली इस कहानी के माध्यम से लेखक ने उन सामाजिक पहलुओं को उजागर किया हैं जो हमें शर्मसार करने के लिए काफी है. कहानी के नायक का अंत में बाघ में रूपांतर हो जाना पाठकों को जरुर आवेशित कर लेगा, इसीआशा के साथ यह कहानी आपके समक्ष प्रस्तुत है. यह कहानी लेखक के द्वादश कहानी संग्रह 'सुन्दरतम पाप' में संकलित है बाघ इस कहानी के अंदर कई हृदय- विदारक मानवीय चीत्कारें छुपी हुई हैं। पाठक अपने पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर इस कहानी को पढ़ें। शनैः शनैः हम कहानी की तरफ अग्रसर होते हैं। काव्य-अलंकार से परे, वाक्य-विन्यास की चीर-फाड किये बिना खुले-मन से आप गद्य की काल्पनिकता तथा प्रतीकात्मकता को फूंक दिजिए। तभी आपको पता चलेगा, एक चीख निर्वस्त्र होकर हमारे सामने पड़ी होगी। उसी से परिचय कराना हमारा लक्ष्य है। चलिए, आपको इस दूसरी दुनिया में ले जाते हैं जहाँ ना ही किसी प्रकार की राजनीति, चुनावी गतिविधियाँ, भूख और शोषण का और ना ही प्रेम, माया, आँसू, शोक और चुंबन के रसपान का कोई स्थान हैं। उनका भी स्थान किस